Ye bharat ki javani hai


सो गए धरति कि गोद मे जो ओढ़ कफन तिरंगे का

व्यर्थ न जाए कुर्बानि किसि भि विर पतंगे का 

ऐसे विरों कि जन्मभूमि बनकर ये मिट्टि धन्य हुआ

सौभाग्यवति है हिन्द जो यहाँ ऐसे बेटों का जन्म हुआ

एक विर वो न जाने कितने लोगो के दल सा है

उसके खुन का धब्बा आजादि कि परिभाषा पे गंगाजल सा है

आसमानि उडान मे अभिनन्दन मात देता बाज को

धरति पे प्रेरणा है विक्रम भारत के हर ज़ाबाज को

अपने अदम्य सौर्य से लिखदि नए भारत कि नइ कहानि है

देख ले दुनिया ये है भारत ये भारत कि जवानि है

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