माँ-बाप का वर्णण जो करदे ऐसा कोइ शब्द ही नही बना
जहाँ उनके गोद सा आनन्द मिले ऐसा त्योहार कभि नही मना
हमने बचपन से धरति देखि चाँद सितारे देखे है
हमने प्यार बहुत देखा बहुतों के प्यारे देखे है
बहुत पढा है किताबों मे हमने धरति चाँद सितारों को
बहुत सुना है किस्सो मे हमने प्यार और प्यारो को
जहाँ प्यार माँ-बाप सा हो ऐसा कोइ किस्सा दिखा नही
माँ-बाप के प्यार का कर्ज चुकाना किसी गुरूकुल मे सिखा नही
जिसको सुनकर सुकुन मिले ये ऐसे शब्दों की कहानि है
माँ-बाप सभि के जिवन मे प्यार कि पहलि निशानि है
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