Jang kro takdir se


जब दवा दुआ कुछ काम न आए, तब हिम्मत ले लो पिर से।

जब लगे वक्त सब छिन रहा है, ऐलाने-जंग करो तकदिर से।

तुम्हारे खिलाफ बहने वाले हवाओं का रूख मोड दो।

मंजिल को रोकने वाले पर्वत को पत्थर समझ के तोड दो।

हजारो जख्मो को सहकर भि उम्मिद दिलों मे जिन्दा हो।

देख हमारे हिम्मत को किस्मत भि शर्मिन्दा हो।

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