बहुत नहाया आँसु से, अब पानि में उतर जाने दो।
बहुत हो गइ गाँधिगिरि, अब गाँडिव उठाने दो।
मत भुलो ज्यादा सहना भि कायरता कहलाता है
इंसानी भाषा कुत्तों को कहाँ समझ मे आता है
क्राँति हि होति है जब हद सारा पार हो जाता है
छुप के हमला करने वाला तो गिदड़ ही कहलाता है
मगर सब कुछ सहने वाला भि शेर नही हो जाता है
एक शहादत को एक न समझो, वो अपने साथ बहुत कुछ ले जाति है
एक संतान शहिद होता है, एक सिन्दुर शहिद हो जाति है
कितने बहन-बुआवों की प्यार शहिद हो जाति है
सिर्फ एक जवान कुर्बान नही होता, कई बचपने शहिद हो जाति है
विरों कि शहादत का, बदला शोक नहीं होता
खुन के बदले खुन चाहिए, आँसु आक्रोश नहीं होता
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